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Uttarakhand Geography part 1
Questions Preview
- गंगोत्री
- रामगंगा
- अलकनंदा
- यमुना
रामगंगा नदी, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के बीच से होकर बहती है और यह पार्क की सबसे महत्वपूर्ण जलधारा है।
- ताप्केश्वर
- बुग्याल
- पिरान कलियर
- पंचेश्वर
हिमालय की ऊँची ढलानों पर स्थित घास के मैदानों को 'बुग्याल' कहा जाता है, जो गर्मियों में फूलों से भर जाते हैं।
- कर्णप्रयाग
- विष्णुप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- देवप्रयाग
रुद्रप्रयाग, पंच प्रयागों में से एक है, जहाँ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम होता है।
- नैनीताल
- सातताल
- भीमताल
- नौकुचियाताल
नौकुचियाताल, जिसका अर्थ है 'नौ कोनों वाली झील', उत्तराखंड की सबसे गहरी झील है।
- चमोली
- उत्तरकाशी
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
उत्तरकाशी जिला, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे बड़े ग्लेशियरों का घर है, इसलिए यहाँ सबसे अधिक ग्लेशियर पाए जाते हैं।
- पिंडारी दर्रा
- माना दर्रा
- कालिंदी दर्रा
- सुंदरढूंगा
माना दर्रा, उत्तराखंड के अंतिम गाँवों में से एक, माना गाँव के पास स्थित है और यह भारत और तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण दर्रा है।
- मिलम ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर
- सतोपंथ ग्लेशियर
पिंडर नदी का उद्गम पिंडारी ग्लेशियर से होता है, जो उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है।
- अलकनंदा
- भिलंगना
- भागीरथी
- यमुना
टिहरी बाँध, भागीरथी नदी पर बना है, जो भारत का सबसे ऊँचा और दुनिया के सबसे ऊँचे बाँधों में से एक है।
- पथरीली जमीन
- पहाड़ी भूभाग
- दलदली और घने जंगल
- रेगिस्तानी भूमि
तराई क्षेत्र, हिमालय की तलहटी में स्थित एक दलदली और घने जंगलों वाला क्षेत्र है, जहाँ वन्यजीवों की भरमार है।
- अलकनंदा
- गंगा
- सरस्वती
- मंदाकिनी
बद्रीनाथ धाम, जो भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र तीर्थ स्थल है, अलकनंदा नदी के दाहिने तट पर स्थित है।
- कर्णप्रयाग
- देवप्रयाग
- रुद्रप्रयाग
- विष्णुप्रयाग
पिंडर नदी और अलकनंदा का संगम कर्णप्रयाग में होता है, जो पंच प्रयागों में से एक है।
- नंदा देवी
- कामेत
- त्रिशूल
- पंचचूली
नंदा देवी, जो उत्तराखंड की सबसे ऊँची चोटी है, कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है, हालांकि इसका कुछ हिस्सा गढ़वाल में भी है।
- पिथौरागढ़
- चमोली
- उत्तरकाशी
- नैनीताल
औली, अपनी बर्फीली ढलानों के लिए जाना जाता है, यह चमोली जिले में स्थित है।
- रुद्रप्रयाग
- उत्तरकाशी
- चमोली
- टिहरी गढ़वाल
हेमकुंड साहिब, सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, यह चमोली जिले में स्थित एक ऊँचाई पर स्थित झील है।
- भाबर
- तराई
- दून घाटी
- शिवालिक
भाबर क्षेत्र हिमालय की तलहटी में एक संकरा बेल्ट है जहाँ नदियाँ मोटे पत्थरों और बजरी से बनी जलधाराओं में बहती हैं।
- धौलीगंगा
- गोरीगंगा
- सरस्वती
- भिलंगना
मिलम ग्लेशियर, उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है और यह गोरीगंगा नदी का उद्गम स्थल है।
- हल्द्वानी
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- ऊधम सिंह नगर
नैनीताल, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध, कुमाऊँ मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है।
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान
कस्तूरी मृग, उत्तराखंड का राजकीय पशु, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है।
- चम्पावत
- नैनीताल
- पिथौरागढ़
- उधम सिंह नगर
पिथौरागढ़ जिला, नेपाल और चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है, यह उत्तराखंड का सबसे पूर्वी जिला है।
- धौलीगंगा बाँध
- लखवार बाँध
- टिहरी बाँध
- पंचेश्वर बाँध
भागीरथी और भिलंगना नदियों के संगम पर स्थित टिहरी बाँध, भारत का सबसे ऊँचा बाँध है।
- बागेश्वर
- चमोली
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
काली गंगा नदी, जो भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाती है, का उद्गम पिथौरागढ़ जिले में होता है।
- नंदा देवी पर्वत
- चौखंबा पर्वत
- नारायण पर्वत
- नर-नारायण पर्वत
बद्रीनाथ धाम नर और नारायण पर्वतमालाओं के बीच स्थित है।
- केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री
- हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ
- केदारनाथ, बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब, पूर्णागिरि
- यमुनोत्री, गंगोत्री, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग
चार धाम यात्रा में चार मुख्य तीर्थ स्थल - केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री - शामिल हैं।
- गंगा
- यमुना
- भागीरथी
- काली
टोंस नदी, यमुना नदी की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर बहती है।
- नैनीताल और अल्मोड़ा
- नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल
- पौड़ी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग
- चमोली और नैनीताल
कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का अधिकांश हिस्सा नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल जिलों में फैला हुआ है।
- त्रिशूल
- कामेट
- नंदा देवी
- चौखंबा
नंदा देवी, जो उत्तराखंड की सबसे ऊँची चोटी है, गढ़वाल हिमालय में स्थित है।
- ऋषिकेश
- लक्ष्मण झूला
- कालसी
- हरिद्वार
टोंस नदी देहरादून के पास कालसी नामक स्थान पर यमुना नदी से मिलती है।
- सत्तोपंथ ताल
- रूपकुंड झील
- नौकुचियाताल
- सहस्रधारा
रूपकुंड झील, जिसे 'कंकाल झील' के रूप में भी जाना जाता है, अपनी रहस्यमयी मानव अस्थियों के कारण प्रसिद्ध है।
- रुद्रप्रयाग
- टिहरी गढ़वाल
- उत्तरकाशी
- बागेश्वर
रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चोपता, अपनी हरी-भरी वादियों और शांत वातावरण के लिए 'मिनी स्विट्जरलैंड' के रूप में प्रसिद्ध है।
- धौलीगंगा और अलकनंदा
- अलकनंदा और भागीरथी
- अलकनंदा और मंदाकिनी
- पिंडर और अलकनंदा
विष्णुप्रयाग, पंच प्रयागों में से पहला है, जहाँ धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम होता है।
- यमुना
- भागीरथी
- अलकनंदा
- गंगा
ऋषिकेश, अपने धार्मिक महत्व और योग के लिए प्रसिद्ध है, यह गंगा नदी के तट पर स्थित है।
- अलकनंदा
- मंदाकिनी
- भागीरथी
- पिंडर
केदारनाथ मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है, मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है।
- त्रिशूल पर्वत
- चौखम्बा पर्वत
- नंदा देवी पर्वत
- नर पर्वत
बद्रीनाथ मंदिर के पीछे की ओर नर पर्वत है, जबकि उसके सामने नारायण पर्वत है, इन दोनों के बीच यह मंदिर स्थित है।
- हिमालयी मोनल
- कस्तूरी मृग
- हिम तेंदुआ
- घुरल
हिमालयी मोनल (Himalayan Monal), अपनी रंगीन पंखों के लिए प्रसिद्ध है, यह उत्तराखंड का राजकीय पक्षी है।
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- हल्द्वानी
- पौड़ी
कुमाऊँ मंडल का शीतकालीन प्रशासनिक मुख्यालय हल्द्वानी में स्थित है, जबकि नैनीताल इसका ग्रीष्मकालीन मुख्यालय है।
- बागेश्वर
- पिथौरागढ़
- चमोली
- नैनीताल
पिंडारी ग्लेशियर, जो पिंडारी नदी का स्रोत है, उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित है।
- बुग्याल
- दून
- पास
- उद्यान
लघु हिमालय और शिवालिक श्रेणी के बीच स्थित सपाट घाटियों को 'दून' कहा जाता है, जैसे कि देहरादून।
- माना दर्रा
- लिपुलेख दर्रा
- नीति दर्रा
- मुन्स्यारी दर्रा
लिपुलेख दर्रा, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह भारत, नेपाल और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण दर्रा है।
- सहस्रधारा
- कैंपटी फॉल्स
- वसुंधरा फॉल्स
- नीलकंठ
मसूरी के पास स्थित कैंपटी फॉल्स, एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अपने बहते हुए पानी और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है।
- चौखम्बा
- त्रिशूल
- पंचचूली
- केदारनाथ
पंचचूली पर्वत श्रृंखला, नंदा देवी के बाद कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित सबसे ऊँची चोटियों में से एक है।
- नैनीताल
- बागेश्वर
- अल्मोड़ा
- पिथौरागढ़
सरयू नदी का उद्गम बागेश्वर जिले में स्थित सरमूल नामक स्थान से होता है।
- त्रिशूल
- चौखम्बा
- कामेत
- केदारनाथ
कामेत, 7756 मीटर की ऊँचाई के साथ, नंदा देवी के बाद गढ़वाल हिमालय की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
- अलकनंदा और मंदाकिनी
- अलकनंदा और भागीरथी
- अलकनंदा और पिंडर
- अलकनंदा और नंदाकिनी
नंदप्रयाग में नंदाकिनी नदी, अलकनंदा से मिलती है, और यह पंच प्रयागों में से एक है।
- कैंपटी फॉल्स
- नीलगढ़ जलप्रपात
- वसुंधरा फॉल्स
- सहस्रधारा
नीलगढ़ जलप्रपात, ऋषिकेश से बद्रीनाथ की ओर जाने वाले मार्ग पर स्थित एक प्रसिद्ध प्राकृतिक जलप्रपात है।
- ऋषिकेश
- टिहरी
- हरिद्वार
- पौड़ी
गंगा नदी शिवालिक पहाड़ियों से निकलकर हरिद्वार में मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश करती है।
- देहरादून
- नैनीताल
- उधम सिंह नगर
- हरिद्वार
उधम सिंह नगर, जो तराई क्षेत्र में स्थित है, अपनी उपजाऊ भूमि के कारण उत्तराखंड के लिए अनाज का एक प्रमुख स्रोत है।
- गंगोत्री ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- मिलम ग्लेशियर
- कफनी ग्लेशियर
गंगोत्री ग्लेशियर, जो गंगा नदी का स्रोत है, उत्तराखंड का सबसे बड़ा ग्लेशियर है।
- बागेश्वर
- चंपावत
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
पूर्णागिरी मंदिर, देवी दुर्गा को समर्पित एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है, जो चंपावत जिले में स्थित है।
- लिपुलेख दर्रा
- माना दर्रा
- बोरासु दर्रा
- नीति दर्रा
बोरासु दर्रा, उत्तरकाशी जिले को हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले से जोड़ता है।
- भीमताल
- सत्तल
- नौकुचियाताल
- खुरपाताल
सत्तल, जिसका अर्थ 'सात झीलें' है, नैनीताल के पास स्थित सात ताजे पानी की झीलों का एक समूह है।
- खतलिंग ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- सतोपंथ ग्लेशियर
भिलंगना नदी का उद्गम टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित खतलिंग ग्लेशियर से होता है।
- उत्तरकाशी
- चमोली
- रुद्रप्रयाग
- टिहरी गढ़वाल
केदारनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और यह रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
- नैनीताल
- भीमताल
- सातताल
- नौकुचियाताल
भीमताल झील, अपनी अनोखी आकृति के कारण 'गरुड़ ताल' के नाम से भी जानी जाती है।
- फूलों की घाटी
- दून घाटी
- टोंस घाटी
- गंगा घाटी
टोंस नदी, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बीच बहती है और जिस घाटी से होकर यह बहती है उसे टोंस घाटी के नाम से जाना जाता है।
- मसूरी
- रानीखेत
- अल्मोड़ा
- लैंसडाउन
लैंसडाउन, जो अपने शांत और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, उत्तराखंड की शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित एक प्रमुख छावनी शहर है।
- गोमती
- सरयू
- रामगंगा
- काली
सरयू नदी, कुमाऊँ क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है, जिसे यहाँ 'कुमाऊँ की गंगा' कहा जाता है।
- बागेश्वर
- चमोली
- पिथौरागढ़
- उत्तरकाशी
दयारा बुग्याल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और घास के मैदानों के लिए प्रसिद्ध है, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
- सेब और आलू
- गन्ना और चावल
- चाय और कॉफी
- मक्का और बाजरा
उत्तराखंड का तराई क्षेत्र अपनी उपजाऊ भूमि के कारण गन्ना और चावल जैसी फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
- भीमताल
- नौकुचियाताल
- नैनीताल झील
- खुरपाताल
नैनीताल झील के उत्तरी किनारे पर नैनी देवी मंदिर स्थित है, जिसके नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा।
- भागीरथी
- पिंडर
- अलकनंदा
- धौलीगंगा
वसुंधरा फॉल्स, अलकनंदा नदी की एक सहायक धारा पर बनता है, जो बद्रीनाथ के पास स्थित है और एक लोकप्रिय ट्रेकिंग स्थल है।
- गोलू देवता मंदिर (चितई)
- जागेश्वर मंदिर
- बागनाथ मंदिर
- कटारमल सूर्य मंदिर
चितई में स्थित गोलू देवता मंदिर 'न्याय का देवता' के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ लोग न्याय के लिए प्रार्थना करते हैं।
- भागीरथी
- यमुना
- पिंडर
- गंगा
टोंस नदी, यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है और यह कालसी के पास यमुना में मिलती है।
- देवदार
- बुरांश
- सागौन
- चीड़
बुरांश, जिसे रोडोडेंड्रोन भी कहते हैं, उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है, जिसके फूल लाल रंग के होते हैं।
- पिथौरागढ़
- चमोली
- उत्तरकाशी
- बागेश्वर
नीति दर्रा, एक महत्वपूर्ण दर्रा है जो उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और यह चीन के साथ सीमा पर है।
- शिव मंदिर
- हनुमान मंदिर
- गणेश मंदिर
- विष्णु मंदिर
भीमताल झील के बीच में स्थित द्वीप पर एक गणेश मंदिर है, जहाँ तक पहुँचने के लिए नौका का उपयोग किया जाता है।
- उत्तरकाशी
- देहरादून
- पौड़ी गढ़वाल
- टिहरी गढ़वाल
देहरादून जिला उत्तराखंड का सबसे पश्चिमी जिला है।
- बंगाल टाइगर
- एक सींग वाला गैंडा
- एशियाई हाथी
- हिम तेंदुआ
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान अपने एशियाई हाथियों की बड़ी आबादी के लिए प्रसिद्ध है और यह हिमालय की तलहटी में स्थित है।
- यह चार मुख्य ग्लेशियरों का स्रोत है
- यह चार मुख्य नदियों का स्रोत है
- इसकी चार प्रमुख चोटियाँ हैं
- यह चार जिलों में फैला है
चौखंबा पर्वतमाला अपनी चार प्रमुख चोटियों के कारण 'चौखंबा' कहलाती है, जिसका अर्थ है 'चार खंभे'।
- बागेश्वर
- चमोली
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
मिलम ग्लेशियर, जो गोरीगंगा नदी का स्रोत है, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है।
- 5
- 6
- 7
- 8
कुमाऊँ मंडल में छह जिले शामिल हैं: अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और उधम सिंह नगर।
- कौसानी
- रानीखेत
- मुनस्यारी
- चोपता
मुनस्यारी, अपनी बर्फ से ढकी चोटियों और प्राकृतिक सुंदरता के कारण 'मिनी कश्मीर' के रूप में प्रसिद्ध है।
- भागीरथी
- पिंडर
- अलकनंदा
- नंदाकिनी
पिंडर नदी, जिसे पिंडारी ग्लेशियर से उद्गम होता है, गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्रों के बीच की प्राकृतिक सीमा बनाती है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- उत्तरकाशी
- चंपावत
पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड का एकमात्र ऐसा जिला है जो पूर्व में नेपाल और उत्तर में चीन के साथ सीमा बनाता है।
- यमुना नदी प्रणाली
- गंगा नदी प्रणाली
- काली नदी प्रणाली
- सरयू नदी प्रणाली
गंगा नदी प्रणाली, जिसमें भागीरथी और अलकनंदा जैसी प्रमुख नदियाँ शामिल हैं, उत्तराखंड की सबसे बड़ी नदी प्रणाली है।
- केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य
- बिनसर वन्यजीव अभयारण्य
- अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान अपनी बड़ी एशियाई हाथी आबादी के लिए जाना जाता है और शिवालिक श्रेणी में स्थित है।
- अल्मोड़ा
- बागेश्वर
- चमोली
- नैनीताल
खुरपाताल झील, नैनीताल जिले में स्थित है और यह अपनी घुमावदार आकृति के लिए जानी जाती है।
- मध्य हिमालय
- शिवालिक
- ग्रेट हिमालय
- भाबर
गंगा और यमुना, भारत की दो सबसे पवित्र नदियाँ, ग्रेट हिमालय (महान हिमालय) श्रेणी से निकलती हैं।
- देहरादून और मसूरी
- हरिद्वार और ऋषिकेश
- नैनीताल और हल्द्वानी
- अल्मोड़ा और रानीखेत
देहरादून और मसूरी को अक्सर 'ट्विन सिटी' कहा जाता है, क्योंकि वे एक-दूसरे के बहुत करीब स्थित हैं।
- नैनीताल
- भीमताल
- सातताल
- नौकुचियाताल
भीमताल झील, कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी और सबसे चौड़ी झील है।
- शिवालिक
- मध्य हिमालय
- ग्रेट हिमालय
- ट्रांस हिमालय
7,816 मीटर की ऊँचाई वाली नंदा देवी, ग्रेट हिमालय (महान हिमालय) श्रेणी में स्थित है।
- पिथौरागढ़ और बागेश्वर
- चमोली और बागेश्वर
- रुद्रप्रयाग और टिहरी
- अल्मोड़ा और नैनीताल
त्रिशूल पर्वत शिखर, जो तीन चोटियों का एक समूह है, चमोली और बागेश्वर जिलों की सीमा पर स्थित है।
- भीमताल
- नौकुचियाताल
- सातताल
- खुरपाताल
सातताल, जिसका अर्थ 'सात झीलें' है, नैनीताल के पास स्थित सात ताजे पानी की झीलों का एक समूह है।
- पौड़ी गढ़वाल
- टिहरी गढ़वाल
- उत्तरकाशी
- देहरादून
कनाताल, जो अपने शांत वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है।
- मोहान दर्रा
- माना दर्रा
- नीति दर्रा
- लिपुलेख दर्रा
मोहान दर्रा, शिवालिक श्रेणी में स्थित है और यह देहरादून को मैदानी इलाकों, जैसे सहारनपुर से जोड़ता है।
- गौरीकुंड
- सूर्यकुंड
- ब्रह्मकुंड
- वासुकीकुंड
गौरीकुंड, केदारनाथ धाम की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहाँ गर्म पानी का कुंड स्थित है।
- यमुना
- अलकनंदा
- गंगा
- भागीरथी
रामगंगा, उत्तराखंड की एक महत्वपूर्ण नदी है जो जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती है और कन्नौज के पास गंगा नदी में मिलती है।
- सतोपंथ ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- मिलम ग्लेशियर
अलकनंदा नदी का उद्गम चमोली जिले में स्थित सतोपंथ और भागीरथी खड़क ग्लेशियरों से होता है।
- केदारनाथ
- बद्रीनाथ
- गंगोत्री
- यमुनोत्री
गंगोत्री धाम, गंगोत्री ग्लेशियर के पास स्थित है और इसे गंगा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- उत्तरकाशी
- टिहरी गढ़वाल
देव ताल, भारत की सबसे ऊँची झीलों में से एक है और यह चमोली जिले में स्थित है।
- रूपकुंड ट्रेक
- हर की दून ट्रेक
- पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक
- फूलों की घाटी ट्रेक
पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक, कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है और यह ग्लेशियर तक पहुंचने का एक प्रसिद्ध और खूबसूरत मार्ग है।
- भागीरथी
- काली नदी
- रामगंगा
- गोरीगंगा
काली नदी, जिसका उद्गम कालापानी में होता है, भारत और नेपाल के बीच की प्राकृतिक सीमा बनाती है।
- नंदा देवी
- चौखम्बा
- बंदरपूंछ
- त्रिशूल
टोंस नदी का उद्गम उत्तरकाशी जिले में स्थित बंदरपूंछ पर्वत से होता है।
- गंगोत्री ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- यमुनोत्री ग्लेशियर
- मिलम ग्लेशियर
यमुनोत्री ग्लेशियर, जो बंदरपूंछ पर्वत के पास स्थित है, यमुना नदी का उद्गम स्थल है।
- मंदाकिनी
- धौलीगंगा
- रामगंगा
- पिंडर
रामगंगा नदी गंगा की एक सहायक नदी है, जबकि अन्य सभी अलकनंदा की सहायक नदियाँ हैं।
- गौरीकुंड
- तप्त कुंड
- सूर्यकुंड
- ब्रह्मकुंड
बद्रीनाथ धाम के पास स्थित तप्त कुंड, एक प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है जिसे एक पवित्र स्थान माना जाता है।
- चौराबाड़ी ग्लेशियर
- खतलिंग ग्लेशियर
- पिंडारी ग्लेशियर
- गंगोत्री ग्लेशियर
मंदाकिनी नदी का उद्गम केदारनाथ के पास स्थित चौराबाड़ी ग्लेशियर से होता है।
- बागेश्वर
- पिथौरागढ़
- चंपावत
- अल्मोड़ा
गंगोलीहाट काली मंदिर, पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है।
- रुद्रप्रयाग
- चमोली
- उत्तरकाशी
- टिहरी गढ़वाल
बेदिनी बुग्याल, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक विशाल और खूबसूरत घास का मैदान है।
- माना दर्रा
- लिपुलेख दर्रा
- नाथुला दर्रा
- शिपकिला दर्रा
माना दर्रा, उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में स्थित है और यह भारत और तिब्बत को जोड़ता है।
- रुद्रप्रयाग
- देवप्रयाग
- कर्णप्रयाग
- विष्णुप्रयाग
देवप्रयाग में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का संगम होता है, और यहीं से इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है।
- हर की पैड़ी
- ऋषिकुंड
- ब्रह्मकुंड
- गंगा घाट
हर की पैड़ी, हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है जहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करने आते हैं।
- पिंडर और सरयू घाटी
- भागीरथी और अलकनंदा घाटी
- केदारनाथ और बद्रीनाथ घाटी
- दून और शिवालिक घाटी
कालिंदी खाल दर्रा, भागीरथी (गंगोत्री) और अलकनंदा (बद्रीनाथ) घाटियों को जोड़ता है और यह एक कठिन ट्रेकिंग मार्ग है।
- केदारनाथ
- रुद्रनाथ
- तुंगनाथ
- बद्रीनाथ
बद्रीनाथ, भगवान विष्णु को समर्पित एक धाम है, जबकि अन्य सभी भगवान शिव के पंच केदार का हिस्सा हैं।
- भीमताल
- नैनीताल
- नौकुचियाताल
- सातताल
भीमताल झील, कुमाऊँ क्षेत्र में स्थित है और यह उत्तराखंड की सबसे बड़ी ताजे पानी की झील है।
- गुच्छुपानी गुफा
- माणा गुफा
- पाताल भुवनेश्वर
- भीम गुफा
पाताल भुवनेश्वर, पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक रहस्यमयी चूना पत्थर की गुफा है, जिसे एक पवित्र स्थान माना जाता है।
- भागीरथी
- मंदाकिनी
- अलकनंदा
- पिंडर
बिरही गंगा, अलकनंदा नदी की एक सहायक नदी है, जो बिरही गाँव के पास इससे मिलती है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- बागेश्वर
- उत्तरकाशी
अली बुग्याल, अपनी हरी-भरी घास के मैदानों और सुंदर दृश्यों के लिए जाना जाता है, यह चमोली जिले में स्थित है।
- सुंदरढूंगा दर्रा
- माना दर्रा
- बोरासु दर्रा
- नीति दर्रा
सुंदरढूंगा दर्रा, पिंडारी ग्लेशियर ट्रेक के पास स्थित है और यह पिंडर और सरयू नदी घाटियों को जोड़ता है।
- विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग
- देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, विष्णुप्रयाग
- विष्णुप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग
- नंदप्रयाग, विष्णुप्रयाग, देवप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग
पंच प्रयागों का सही क्रम, जहाँ अलकनंदा से अन्य नदियाँ मिलती हैं, वह है: विष्णुप्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और अंत में देवप्रयाग।
- ऋषिकेश
- हरिद्वार
- देहरादून
- हल्द्वानी
हरिद्वार को उत्तराखंड का प्रवेश द्वार कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से राज्य के सभी प्रमुख पर्वतीय क्षेत्रों और तीर्थस्थलों की यात्रा शुरू होती है।
- गोरीगंगा
- पिंडर
- धौलीगंगा
- नंदाकिनी
गोरीगंगा नदी का उद्गम मिलम ग्लेशियर से होता है और यह काली नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
- जोहार घाटी और दारमा घाटी
- भागीरथी घाटी और अलकनंदा घाटी
- पिंडर घाटी और सरयू घाटी
- गंगा घाटी और यमुना घाटी
सिनला दर्रा, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह जोहार घाटी को दारमा घाटी से जोड़ता है।
- देहरादून
- पौड़ी
- टिहरी
- रुद्रप्रयाग
पौड़ी शहर, गढ़वाल मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय है।
- गौरीकुंड
- तप्त कुंड
- सहस्रधारा
- गंगनानी
गंगनानी, उत्तरकाशी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध गर्म पानी का कुंड है, जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है।
- मुनस्यारी
- लोहाजंग
- जोशीमठ
- देवाल
रूपकुंड झील के लिए प्रसिद्ध ट्रेकिंग मार्ग लोहाजंग से शुरू होता है।
- चौखंबा बुग्याल
- वेदनी बुग्याल
- गोरसों बुग्याल
- कुकुचीना बुग्याल
गोरसों बुग्याल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है।
- झरना
- झील
- गुफा
- बुग्याल
जोलिंगकोंग एक झील है जो पिथौरागढ़ जिले में ओम पर्वत के पास स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है।
- दुग्ध गंगा
- अलकनंदा
- पिंडर
- काली
दुग्ध गंगा नदी, मंदाकिनी नदी की एक सहायक नदी है, जो केदारनाथ घाटी से होकर बहती है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
- उत्तरकाशी
क्वारी पास, जो 'लॉर्ड कर्जन ट्रेल' का हिस्सा है, चमोली जिले में स्थित है।
- जागेश्वर धाम
- बागनाथ मंदिर
- कटारमल सूर्य मंदिर
- चिटाई गोलू देवता मंदिर
जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा जिले में स्थित 124 से अधिक छोटे-बड़े मंदिरों का एक समूह है, जो अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
- गोरीगंगा
- पिंडर
- सुंदरढूंगा नदी
- भागीरथी
सुंदरढूंगा ग्लेशियर, सुंदरढूंगा नदी का उद्गम स्थल है, जो आगे चलकर पिंडर नदी में मिल जाती है।
- त्रिशूल
- चौखम्बा
- बंदरपूंछ
- स्वर्गरोहिणी
स्वर्गरोहिणी पर्वतमाला का नाम यहाँ से स्वर्ग तक जाने के लिए मार्ग के रूप में मानी जाने वाली एक पौराणिक कहानी से आया है।
- गौरीकुंड
- सूर्यकुंड
- तप्त कुंड
- ब्रह्मकुंड
सूर्यकुंड, यमुनोत्री मंदिर के पास स्थित एक प्राकृतिक गर्म पानी का कुंड है।
- उत्तरकाशी
- चमोली
- पिथौरागढ़
- रुद्रप्रयाग
डोडिताल, उत्तरकाशी जिले में स्थित एक मीठे पानी की झील है, जिसे 'धुंडीताल' के नाम से भी जाना जाता है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- उत्तरकाशी
- अल्मोड़ा
पुष्पा बुग्याल, चमोली जिले में स्थित एक खूबसूरत बुग्याल है जो फूलों की घाटी के पास है।
- नाग टिब्बा ट्रेक
- रूपकुंड ट्रेक
- पिंडारी ट्रेक
- हर की दून ट्रेक
नाग टिब्बा ट्रेक, मसूरी के पास स्थित एक लोकप्रिय ट्रेकिंग मार्ग है, जो हिमालय के सुंदर दृश्य प्रदान करता है।
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- चंपावत
- बागेश्वर
कटारमल सूर्य मंदिर, अल्मोड़ा जिले में स्थित है और यह अपनी अद्वितीय वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है।
- अलकनंदा
- मंदाकिनी
- भागीरथी
- पिंडर
कोटीश्वर बाँध, टिहरी बाँध परिसर का एक हिस्सा है और यह भागीरथी नदी पर बनाया गया है।
- रुद्रप्रयाग
- उत्तरकाशी
- टिहरी गढ़वाल
- चंपावत
पनवालीकांठा बुग्याल, अपनी हरी-भरी ढलानों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, यह टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है।
- देहरादून
- ऋषिकेश
- नरेंद्रनगर
- रुद्रप्रयाग
नरेंद्रनगर, टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है और इसे अक्सर 'टिहरी गढ़वाल का प्रवेश द्वार' कहा जाता है।
- भागीरथी
- पिंडर
- सरयू
- सुंदरढूंगा नदी
सुंदरढूंगा ग्लेशियर से सुंदरढूंगा नदी का उद्गम होता है, जो आगे चलकर पिंडर नदी में मिल जाती है।
- नंदा देवी
- चौखम्बा
- स्वर्गरोहिणी
- केदारनाथ
स्वर्गरोहिणी पर्वत, जो अपनी पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है, इसका अर्थ है 'स्वर्ग का रास्ता'।
- केदारनाथ
- यमुनोत्री
- बद्रीनाथ
- गंगोत्री
सूर्यकुंड, यमुनोत्री मंदिर के पास स्थित है और यहाँ का पानी काफी गर्म होता है।
- चमोली
- उत्तरकाशी
- पिथौरागढ़
- नैनीताल
डोडिताल, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, उत्तरकाशी जिले में स्थित है।
- अल्मोड़ा
- चमोली
- रुद्रप्रयाग
- उत्तरकाशी
पुष्पा बुग्याल, फूलों की घाटी के पास स्थित है और यह चमोली जिले का एक हिस्सा है।
- टिहरी गढ़वाल
- नैनीताल
- पिथौरागढ़
- चंपावत
नाग टिब्बा, एक प्रसिद्ध ट्रेकिंग गंतव्य है जो टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है।
- जागेश्वर धाम
- कटारमल सूर्य मंदिर
- बैजनाथ मंदिर
- गोलू देवता मंदिर
कटारमल सूर्य मंदिर, जो अल्मोड़ा में स्थित है, अपनी वास्तुकला के कारण उत्तराखंड का 'कोर्णाक' कहलाता है।
- यमुना
- भागीरथी
- अलकनंदा
- पिंडर
लखवार-व्यासी परियोजना यमुना नदी पर स्थित है और इसका उद्देश्य सिंचाई और बिजली उत्पादन है।
- बागेश्वर और पिथौरागढ़
- चमोली और उत्तरकाशी
- टिहरी गढ़वाल और रुद्रप्रयाग
- अल्मोड़ा और नैनीताल
ट्रेल पास, पिंडारी ग्लेशियर के ऊपर स्थित है और यह बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों को जोड़ता है।
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- बागेश्वर
- पिथौरागढ़
अल्मोड़ा, अपनी सांस्कृतिक विरासत और कला के लिए 'कुमाऊँ की सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में जाना जाता है।
- यमुना नदी बेसिन
- काली नदी बेसिन
- भागीरथी नदी बेसिन
- गंगा नदी बेसिन
गंगा नदी बेसिन, उत्तराखंड का सबसे बड़ा नदी बेसिन है, जिसमें अलकनंदा और भागीरथी जैसी प्रमुख नदियाँ शामिल हैं।
- कुमाऊँ हिमालय
- गढ़वाल हिमालय
- ट्रांस हिमालय
- पूर्वी हिमालय
शिवालिंग पर्वत, अपनी अनूठी और खड़ी आकृति के लिए जाना जाता है, यह गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में स्थित है।
- जोहार घाटी
- लाटू घाटी
- दारमा घाटी
- ब्यास घाटी
उंटा धुरा दर्रा, पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह जोहार घाटी को तिब्बत से जोड़ता था।
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- पिथौरागढ़
- बागेश्वर
बिनसर वन्यजीव अभयारण्य, अल्मोड़ा जिले में स्थित है और यह अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है।
- गरुड़ ताल
- राम ताल
- लक्ष्मण ताल
- सीता ताल
सप्तताल समूह में राम ताल सबसे बड़ी झील मानी जाती है, जो नैनीताल जिले में स्थित है।
- देहरादून
- मसूरी
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
नैनीताल, अपनी खूबसूरत झीलों के कारण 'भारत के झील जिला' के रूप में प्रसिद्ध है।
- महर्षि महेश योगी आश्रम
- शिवानंद आश्रम
- स्वर्गाश्रम
- परमार्थ निकेतन
महर्षि महेश योगी आश्रम, जिसे 'बीटल्स आश्रम' के नाम से भी जाना जाता है, 1960 के दशक में द बीटल्स के यहाँ रुकने के कारण प्रसिद्ध हुआ।
- पौड़ी गढ़वाल
- टिहरी गढ़वाल
- देहरादून
- हरिद्वार
देहरादून जिला, उत्तराखंड का एकमात्र जिला है जो पूर्व में उत्तर प्रदेश और पश्चिम में हिमाचल प्रदेश के साथ सीमा साझा करता है।
- भागीरथी
- यमुना
- टोंस
- अलकनंदा
आसन बैराज, देहरादून में यमुना नदी पर स्थित है और यह एक प्रसिद्ध पक्षी अभयारण्य का भी घर है।
- राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
- नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान
- जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
- फूलों की घाटी
पतली दून घाटी, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का एक हिस्सा है, जो अपने वन्यजीवों के लिए प्रसिद्ध है।
- अलकनंदा
- मंदाकिनी
- भागीरथी
- यमुना
डोबरा-चांठी पुल, टिहरी गढ़वाल जिले में भागीरथी नदी पर स्थित है और यह भारत का सबसे लंबा मोटरेबल सस्पेंशन पुल है।
- भिलंगना नदी
- भागीरथी नदी
- मंदाकिनी नदी
- टोंस नदी
खतलिंग ग्लेशियर, टिहरी गढ़वाल जिले में स्थित है और यह भिलंगना नदी का उद्गम स्थल है।
- चमोली
- पिथौरागढ़
- उत्तरकाशी
- टिहरी गढ़वाल
धौलीगंगा बाँध परियोजना पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और यह धौलीगंगा नदी पर बनाई गई है।
- नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल
- देहरादून और टिहरी गढ़वाल
- बागेश्वर और पिथौरागढ़
- चमोली और अल्मोड़ा
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है, जो नैनीताल और पौड़ी गढ़वाल जिलों के बीच फैला हुआ है।
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- ऊधम सिंह नगर
- चंपावत
नौकुचियाताल, नैनीताल जिले में स्थित है और यह अपने नौ कोनों के कारण इस नाम से जाना जाता है।
- हरिद्वार
- देहरादून
- मसूरी
- ऋषिकेश
ऋषिकेश, अपने आध्यात्मिक और योग केंद्रों के कारण दुनिया भर में 'विश्व की योग राजधानी' के रूप में प्रसिद्ध है।
- बागेश्वर
- पिथौरागढ़
- चमोली
- नैनीताल
बर्थी झरना, पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत झरना है।
- चंपावत
- ऊधम सिंह नगर
- पिथौरागढ़
- अल्मोड़ा
पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड का एकमात्र जिला है जो पूर्व में नेपाल और उत्तर में चीन के साथ सीमा साझा करता है।
- मंदाकिनी
- पिंडर
- अलकनंदा
- धौलीगंगा
विष्णुप्रयाग जलविद्युत परियोजना चमोली जिले में अलकनंदा नदी पर स्थित है।